भारत ने पाकिस्तान के लिए IMF बेलआउट पर वोटिंग से किनारा कर लिया है। भारत ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब है और उसे नए लोन नहीं मिलने चाहिए। यह कदम पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक कड़ा संदेश देता है और उसकी आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाता है। तो, क्यों भारत ने पाकिस्तान के बेलआउट का विरोध किया? जानिये अंदर की पूरी कहानी।
आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान को क्यों मिले नए लोन
भारत द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 2021 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सैन्य-संबंधित व्यवसायों को पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह बताया गया है। स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, बल्कि अब तो पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान की स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटी काउंसिल में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है। भारत का यह तर्क पाकिस्तान की आर्थिक नीतियों और आतंकवाद के प्रति उसके रवैये पर सीधा हमला है।
भारत सरकार का कड़ा बयान
भारत सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आज पाकिस्तान के लिए विस्तारित निधि सुविधा (Extended Fund Facility – EFF) ऋण कार्यक्रम (1 बिलियन डॉलर) की समीक्षा की और एक नए लचीलापन और स्थिरता सुविधा (Resilience and Stability Facility – RSF) ऋण कार्यक्रम (1.3 बिलियन डॉलर) पर भी विचार किया। एक सक्रिय और जिम्मेदार सदस्य देश के रूप में, भारत ने पाकिस्तान के मामले में IMF कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर गंभीर चिंता जताई। भारत ने पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड और राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए ऋण वित्तपोषण निधियों के दुरुपयोग की संभावना को देखते हुए यह विरोध दर्ज कराया है! भारत का यह साहसिक कदम आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय मदद का करता है दुरुपयोग, भारत का सीधा आरोप
भारत का स्पष्ट आरोप है कि पाकिस्तान को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता का इस्तेमाल आतंकवाद को पोषित करने के लिए किया जाता है। ऐसे में, नए लोन देना आतंकवाद को और बढ़ावा देने जैसा होगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है। यह भारत की कूटनीतिक जीत है और पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।