इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं। इससे पहले, बुधवार को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने जाति जनगणना को मंजूरी देकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। इससे महागठबंधन के हाथों से सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा छिनता हुआ नज़र आ रहा है।
लंबे समय से, राहुल गांधी और विपक्ष जाति जनगणना की मांग को लेकर बीजेपी पर हमलावर थे, लेकिन अब NDA सरकार के इस कदम से राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदल सकते हैं। यह फैसला बिहार चुनावों (Bihar elections) में भारी प्रभाव डाल सकता है। यह कदम निश्चित रूप से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आएगा।
जाति जनगणना क्यों है ज़रूरी
विपक्ष हमेशा से कहता रहा है कि पिछड़े वर्गों (backward classes) की संख्या ज़्यादा है, लेकिन उनकी भागीदारी उतनी नहीं है। राहुल गांधी हर सभा में कहते रहे हैं कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो वह जाति जनगणना कराएंगे और 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को बढ़ाएंगे। विपक्ष का मानना है कि जाति जनगणना होने पर यह पता चलेगा कि समाज में किस जाति के कितने लोग हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। वहीं, पीएम मोदी ने एक बड़ा दांव खेलकर यह मुद्दा विपक्ष के हाथों से छीन लिया है। अब देखना यह है कि इस कदम से चुनावी परिणामों पर कितना असर पड़ता है।
JDU ने किया पीएम मोदी के फैसले का स्वागत
सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने X पर पोस्ट कर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। नीतीश कुमार ने X पोस्ट में लिखा, ‘केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय स्वागत योग्य है। जाति आधारित गणना कराने की हमारी मांग पुरानी है। यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया है। जाति आधारित गणना होने से विभिन्न वर्गों की संख्या की जानकारी प्राप्त होगी, जिससे उनके उत्थान और विकास के लिए योजनाएं बनाने में सुविधा होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति आधारित गणना कराने के निर्णय के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई और धन्यवाद।’
वहीं, JDU प्रवक्ता अभिषेक झा (Abhishek Jha) ने कहा कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। JDU ने इस निर्णय को स्वागत योग्य बताया है। अभिषेक झा ने कहा कि JDU का मानना है कि यह हमारे नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की लंबे समय से मांग थी। यह निर्णय JDU और नीतीश कुमार की राजनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार चुनावों पर क्या होगा असर
बिहार की राजनीति में जाति ने हमेशा से एक बड़ी भूमिका निभाई है। यहाँ बड़े-बड़े मुद्दे जाति के सामने फेल हो जाते हैं। ऐसे में, मोदी सरकार का यह फैसला निर्णायक साबित हो सकता है। NDA को पिछड़े वर्गों में, खासकर उन मतदाताओं में बढ़त मिल सकती है जो अब तक इस मुद्दे पर कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों का समर्थन करते रहे हैं। ऐसे में, RJD और कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी होगी, क्योंकि बीजेपी ने खुद उनके मुख्य एजेंडे को आगे बढ़ा दिया है। नीतीश कुमार की JDU भी जाति जनगणना की वकालत करती रही है, ऐसे में बीजेपी और JDU के बीच तालमेल और भी मज़बूत हो सकता है। यह कदम निश्चित रूप से बिहार के चुनावी परिदृश्य को बदल कर रख देगा।
जाति जनगणना से क्या होगा फायदा
जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि किस जाति के कितने लोग हैं। अगर पिछड़े जाति के लोग ज़्यादा हैं, तो उन्हें ज़्यादा आरक्षण देने का दबाव बनेगा। साथ ही, जाति जनगणना होने से उनके उत्थान और विकास के लिए योजनाएं बनाना आसान हो जाएगा। बिहार सरकार का दावा रहा है कि जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सरकारी योजनाओं को बनाने में मदद करेंगे और ज़रूरतमंद लोगों के लिए योजनाएं बनाने में सरकार की मदद करेंगे। बिहार में जाति की राजनीति की गहरी पकड़ है। यहाँ जाति के आधार पर ही सत्ता की कुर्सी मिलती है। बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण कराया था, जिसका उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में भी फायदा मिला था।