दिल्ली के स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर सरकार का कड़ा प्रहार, ऐतिहासिक बिल पास, अब नहीं चलेगी स्कूलों की तानाशाही

राजधानी दिल्ली में सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के लिए फीस निर्धारण के स्पष्ट दिशानिर्देश तय करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक ड्राफ्ट बिल पास किया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह कदम दिल्ली के लाखों अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएगा और शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगा।

शिक्षा मंत्री का ज़ोरदार ऐलान

बिल की घोषणा करते हुए शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा, “अब स्कूल मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। हमने कुछ स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। फीस पर पारदर्शी तरीके से नियंत्रण किया जाएगा।” उनका यह स्पष्ट संदेश स्कूलों को यह बताता है कि सरकार अब फीस वृद्धि के मुद्दे पर सख्त रुख अपना रही है और किसी भी तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अभिभावकों का आक्रोश और स्कूलों की लापरवाही

यह पहल तब की गई जब बढ़ती फीस को लेकर अभिभावकों के बीच चिंता और असंतोष का माहौल था। कई अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन समितियों पर लापरवाही और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था, जो ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए जिम्मेदार हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में दिल्ली के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की मौजूदा स्कूल प्रबंधन समितियों को भंग करने का फैसला किया है। नई समितियों के गठन के लिए 9 मई को चुनाव कराए जाएंगे। यह चुनाव स्कूल स्तर पर गठित एक समिति की देखरेख में होगा, जिसकी अध्यक्षता स्कूल प्रमुख करेंगे और एक शिक्षक समन्वयक के रूप में कार्य करेंगे। यह कदम स्कूलों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने और अभिभावकों की शिकायतों को सुनने के लिए एक मज़बूत मंच प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक फैसला

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बिल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लिया है। आज कैबिनेट में यह ड्राफ्ट बिल पास हो गया है। दिल्ली के सभी 1677 स्कूलों (चाहे वे प्राइवेट हों, सहायता प्राप्त हों, गैर-सहायता प्राप्त हों या किसी अन्य प्रकार के हों) में अब फीस निर्धारण के लिए एक एकीकृत और ठोस प्रक्रिया लागू की जाएगी।” उनका यह दृढ़ संकल्प शिक्षा के क्षेत्र में समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

जांच समितियां और शिकायत निवारण के लिए विशेष ईमेल

इस महीने की शुरुआत में, फीस वृद्धि से संबंधित शिकायतों की जांच के लिए उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता में जांच समितियां भी गठित की गई हैं। इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने शिकायतों के निवारण के लिए एक आधिकारिक ईमेल पता (ddeact1@gmail.com) भी शुरू किया है, जहां अभिभावक अपनी शिकायतें भेज सकते हैं। साथ ही, वे संबंधित शिक्षा विभाग के कार्यालयों में जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह कदम अभिभावकों को अपनी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए एक आसान और पारदर्शी मंच प्रदान करता है।

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