UPI New Rule: देश लगातार ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर बढ़ रहा है और इसमें UPI की भूमिका बेहद अहम रही है। लाखों लोग हर दिन UPI के ज़रिए अपने छोटे-बड़े भुगतान करते हैं। इसकी गति और सरलता ने इसे बेहद लोकप्रिय बना दिया है।
लेकिन अक्सर देखा जाता है कि एक छोटी सी गलती की वजह से पैसे गलत अकाउंट में चले जाते हैं, जिन्हें वापस पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) ने एक अहम और क्रांतिकारी कदम उठाया है। यह कदम UPI ट्रांजेक्शन को और ज़्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगा।
NPCI का नया नियम कैसे काम करेगा
NPCI ने एक नया और अहम नियम जारी किया है, जिसके मुताबिक अब जब कोई व्यक्ति UPI के ज़रिए पैसे भेजेगा, तो ट्रांजेक्शन स्क्रीन पर प्राप्तकर्ता का वही नाम दिखाई देगा जो बैंक के रिकॉर्ड (कोर बैंकिंग सिस्टम – CBS) में दर्ज है। अभी तक कई लोग मोबाइल में सेव नाम या नंबर देखकर पैसे भेज देते थे, जिससे धोखाधड़ी या गलती होने की संभावना बनी रहती थी। नया नियम इस भ्रम को दूर करेगा और सुनिश्चित करेगा कि पैसा सही व्यक्ति तक पहुंचे।
यह नियम खास तौर पर P2P (व्यक्ति से व्यक्ति – व्यक्ति से व्यक्ति) और P2PM (व्यक्ति से व्यापारी – व्यक्ति से व्यापारी) लेन-देन पर लागू होगा। इसका उद्देश्य UPI उपयोगकर्ताओं को अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करना है। जब उपयोगकर्ता किसी को पैसे भेजेगा, तो उसे लेन-देन से पहले वास्तविक खाताधारक का नाम दिखाई देगा, ताकि वह तय कर सके कि पैसे किसे भेजने हैं। यह एक अनूठी सुरक्षा परत है जो उपयोगकर्ताओं का विश्वास बढ़ाएगी।
NPCI का नया नियम कब लागू होगा
यह नियम 30 जून, 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएगा। Google Pay, PhonePe, Paytm और BHIM जैसे सभी UPI प्लेटफ़ॉर्म को अपने सिस्टम में यह बदलाव शामिल करना होगा। अगर तब भी गलती से गलत खाते में लेन-देन हो जाता है, तो उपयोगकर्ता को तुरंत संबंधित व्यक्ति से संपर्क करना चाहिए।
अगर पैसा वापस नहीं आता है तो बैंक में शिकायत करें और NPCI की हेल्पलाइन 1800-120-1740 पर कॉल करें या उनकी वेबसाइट पर जाकर शिकायत दर्ज कराएं। इस बदलाव से न केवल लेन-देन अधिक सुरक्षित होगा, बल्कि डिजिटल भुगतान पर आम जनता का भरोसा भी बढ़ेगा। यह भारत को सही मायने में डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।