Surgical Strike 3.0: Operation Sindoor से कांपा पाकिस्तान, मंत्री बोले- ‘हम कुछ नहीं करेंगे’

Operation Sindoor: भारत ने पाकिस्तान के पहले आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना ने Operation Sindoor के तहत मंगलवार रात पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकियों के 9 ठिकानों को धूल में मिला दिया। दूसरी ओर, पिछले 15 दिनों से लगातार धमकियां दे रहा पाकिस्तान इस हवाई हमले के बाद ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद पाकिस्तान के मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा है कि वे इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। लेकिन अगर पाकिस्तान की इस हार के पीछे के कारणों की बात करें, तो इसके एक नहीं बल्कि कई कारण नज़र आते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसे 5 मुख्य कारण।

पाकिस्तान बोला – ‘हम कुछ नहीं करेंगे

अभी तक पाकिस्तान लगातार भारत को धमकियां दे रहा था और यहां तक कि पाकिस्तानी मंत्री परमाणु हमले की भी बातें कर रहे थे। लेकिन भारत के हवाई हमले के बाद उनका लहजा बदला हुआ लग रहा है। पाकिस्तानी मंत्रियों के बयान हैरान करने वाले और उनकी हालत बताने वाले हैं। दरअसल, जहां भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी संगठनों को तबाह कर दिया, वहीं इस हमले के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री वसीम आसिफ ने कहा है कि वे अपना काम करेंगे। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में आगे कहा कि अगर भारत आगे कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो वे भी कुछ नहीं करेंगे। यह बयान पाकिस्तान की घबराहट और कमजोर स्थिति को साफ़ तौर पर दर्शाता है।

सैन्य ताकत में भारत के आगे कहीं नहीं टिकता पाकिस्तान

भले ही पाकिस्तान गुस्से में बड़ी-बड़ी बातें करता हो और अपनी सैन्य शक्ति का दम भरता हो, लेकिन इस मामले में वह भारत से बहुत पीछे है। पहलगाम आतंकी हमले के कुछ दिनों बाद, ब्रिटेन के प्रमुख थिंक टैंक, टोको माओ इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार साल 2024 में भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान के खर्च से लगभग नौ गुना ज़्यादा होने वाला है! दोनों देशों के बीच हुए सभी युद्धों में पाकिस्तान को हार माननी पड़ी है।

आर्थिक रूप से कंगाल पाकिस्तान, भारत से मुकाबला दूर की बात

आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान का भारत से कोई मुकाबला नहीं है। वर्ल्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, पाकिस्तान की जीडीपी लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रही है। पाकिस्तान की जीडीपी 350 बिलियन डॉलर है और उस पर कुल बाहरी कर्ज जीडीपी का 42 प्रतिशत के आसपास है। दूसरी ओर, भारत की जीडीपी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। देश में महंगाई इतनी ज़्यादा है कि लोगों को खाने-पीने और रोज़मर्रा की ज़रूरतों का सामान खरीदना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में, युद्ध जैसे बड़े खर्चों को वहन करना पाकिस्तान के लिए नामुमकिन है।

दोस्त भी हुए बेगाने, चीन देख रहा है नफा-नुकसान

पहलगाम पर हमले के बाद, पाकिस्तान भारत के सख्त रवैये से परेशान नज़र आ रहा है। इस बीच, उसने मित्र देशों और आईएमएफ से वित्तीय मदद मांगी है, लेकिन उसे कोई खास मदद नहीं मिल रही है। खुद पाकिस्तानी विमान मंत्री ने दो दिन पहले एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि पाकिस्तान ने अपने डब्ल्यूएपी लोन को 10 बिलियन डॉलर बढ़ाने की मांग की थी। इसके अलावा, 30 बिलियन युआन के कर्ज को 40 बिलियन युआन तक कम करने की मांग की जा रही है, लेकिन इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि उसके तथाकथित दोस्त भी इस मुश्किल वक़्त में उसका साथ नहीं दे रहे हैं। चीन भी अपने फायदे और नुकसान को तौल रहा है और खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करने से कतरा रहा है।

पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई का डर, शेयर बाज़ार में हाहाकार

पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान भारत की संभावित कार्रवाई को लेकर डरा हुआ था। निवेशकों की बिकवाली का आलम यह है कि पहलगाम हमले के दिन यानी 22 मई से लेकर अब तक पाकिस्तान का शेयर बाज़ार 11000 अंक गिर चुका है! और बुधवार को भारत के हवाई हमले के बाद, बाज़ार खुलते ही धराशायी हो गया (Pakistan Stock Market Crash) और 6,000 अंक तक गिर गया! मंगलवार को केएसई-100 1,13,568.51 पर बंद हुआ था, लेकिन आज अचानक 1,07,296 के स्तर पर आ गया। यह आर्थिक अस्थिरता पाकिस्तान को किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर करेगी।

युद्ध की स्थिति में आईएमएफ-विश्व बैंक से मदद मिलने का डर

एक तरफ चीन की चुप्पी पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब बनी हुई है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को युद्ध की स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे वैश्विक संगठनों से मदद मिलने का भी डर है। इसे एक बड़ा कारण माना जा रहा है, क्योंकि 9 मई को आईएमएफ की बैठक में 1.3 बिलियन डॉलर की मदद पर फैसला होने वाला है। अगर पाकिस्तान किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई करता है, तो उसे इस महत्वपूर्ण वित्तीय मदद से हाथ धोना पड़ सकता है, जो उसकी पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए और भी बड़ा संकट खड़ा कर देगा।

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